कन्यादान
नवयौवना की मात-पिता को हो रही चिंता,
अभिशाप है गरीबी, योग्य वर कैसे पाये पिता?
मेहंदी रचाकर, महावर लगाकर दुल्हन पिया संग चली,
बिंदी, कंगना, पायल, चूनर ओढी सितारों वाली।।
किया सोलह शृंगार, लिये फेरे, सात वचन दिये,
कन्यादान कर्तव्य संपन्न करते मात पिता नैना रोये।।
विदाई की शुभ बेला में, भेंट-शुभाशीष दे मात-पिता,
दिल का टुकडा सौंपते, हाथ जोड अनुनय करते पिता।।
लाडो, दुलारी, संग पिया के रिश्ता नया सजाने चली,
फूल बिछे राहो में तुम्हारी, आशीष, दुआओं से भरी झोली।।
पीहर की रौनक हो तुम, भूल न जाना ये गलियां,
पलक पांवडे बिछा तरसते नैना, बांट जोहती सखियां।।