क्षणिका क्षणकायें *ब्रजेश गुप्ता 20/12/202419/01/2025 हम जीये या मरें नहीं हमें इसकी कोई परवाह यह तो जीवन की है एक प्रक्रिया क्रम यह चलता ही रहेगा जीवन और मरण