मनहरण छंद
घर आँगन की कली,
प्रेम स्नेह से है पली,
दमकेगी दीपज्योति,
आलोकित कीजिए।।
बोल बोले मीठे-मीठे,
अमृत सा रस घोले,
पायेगी लाडो सम्मान,
शिक्षा धन दीजिए।।
प्रीत पुष्प हो बहार,
साजन का मिले प्यार,
विवाह बंधन बेला,
कन्यादान कीजिए।।
दो कुल की हैं लाज,
सुर, लय, ताल, साज,
बेटी तो धन पराया,
आशीर्वाद दीजिए।।