मुक्तक/दोहा

मुक्तक

01
चतुर अपनी एक बात से हंगामा बरपा देता है,
हंगामें के भीतर सारी कमजोरी छुपा लेता है,
जैसे ही कांपने की नौबत आती है मुद्दों पर
एक ही झटके में कहीं और आग लगा देता है।
02
होशियार अपनी गलती दूसरों पर थोप देता है,
सूखे खेतों में भी भरपूर पौधे रोप देता है,
उसे कुछ ककहरा भले ही न आता जाता हो
तब भी अपनी अनपढ़ी अनुभव झोंक देता है।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

Leave a Reply