राजनीति

राजनैतिक पार्टियों के बीच अब विचारधारा और सिद्धांतों की लड़ाई नहीं, बल्कि सिर्फ सत्ता की लड़ाई

बाबा साहेब आंबेडकर पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का मुद्दा वास्तव में चिंताजनक है। नेताओं के बयानों से ऐसा लगता है कि वे अपने राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

अमित शाह जी का बयान इस मामले में एक ताज़ा उदाहरण है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है और उन्होंने अपने पूरे बयान को दिखाने की मांग की है।

इस तरह के राजनीतिक बयानबाजी से न केवल बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत का अपमान होता है, बल्कि यह भारतीय राजनीति के मूल्यों को भी कमजोर करता है। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि नेता अपने राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर देश के हित में काम करेंगे।

बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा लिखित संविधान वास्तव में भारत के हित में है, और इसकी व्याख्या नेताओं के राजनीतिक बयानों से अलग करके की जानी चाहिए। बाबा साहेब ने संविधान के माध्यम से समानता, न्याय, और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को स्थापित करने का प्रयास किया था।

उनका मानना था कि समानता का अधिकार धर्म और जाति से ऊपर होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना किसी भी समाज की प्रथम आवश्यकता है।

इसलिए, हमें बाबा साहेब के संविधान को समझने और आत्मसात करने के लिए नेताओं के बयानों से ऊपर उठना होगा। हमें संविधान के मूल सिद्धांतों को समझना होगा और उन्हें अपने जीवन में उतारना होगा।

बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को समझने और सम्मान करने के लिए हमें उनके जीवन और कार्यों का अध्ययन करना होगा। हमें उनके संविधान को एक जीवंत दस्तावेज के रूप में देखना होगा, जो हमें समानता, न्याय, और सामाजिक न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

बाबा साहेब आंबेडकर पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का मुद्दा वास्तव में एक गंभीर चिंता का विषय है। यहाँ कुछ विश्लेषण हैं।

राजनीतिक हितों का प्रभाव

राजनीतिक नेता अक्सर अपने हितों को बढ़ावा देने के लिए ऐतिहासिक व्यक्तित्वों का उपयोग करते हैं। बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत का उपयोग करके, नेता अपने राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने का प्रयास करते हैं।

समाज में विभाजन।

ऐसे बयानों से समाज में विभाजन पैदा हो सकता है। बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत का उपयोग करके, नेता समाज के विभिन्न वर्गों के बीच तनाव पैदा कर सकते हैं।

इस समस्या का समाधान निकालने के लिए, हमें निम्नलिखित कदम उठाने होंगे,

नेताओं को अपने राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर देश के हित में काम करना चाहिए।

समाज को नेताओं के बयानों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए और उनके पीछे के मकसद को समझना चाहिए।

हमें बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को सही तरीके से समझना चाहिए और उनके सिद्धांतों को अपनाना चाहिए।

आजकल राजनैतिक पार्टियों में सौहार्द, प्रेम और भाईचारा नज़र नहीं आता, क्योंकि अब वे सिर्फ वोटों की खातिर एक दूसरे के दुश्मन बन बैठे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जो भारत और भारतीयों के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है।

इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक यह है कि राजनैतिक पार्टियों के बीच अब विचारधारा और सिद्धांतों की लड़ाई नहीं, बल्कि सिर्फ सत्ता की लड़ाई हो गई है। इसके अलावा, राजनैतिक पार्टियों के नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं और स्वार्थ भी इस समस्या को बढ़ावा दे रहे हैं।

इस समस्या का समाधान निकालने के लिए, हमें राजनैतिक पार्टियों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसके अलावा, हमें राजनैतिक पार्टियों के नेताओं को उनकी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं और स्वार्थ से ऊपर उठकर देश और समाज के हित में काम करने के लिए प्रेरित करने की आवश्यकता है।

हमें राजनैतिक पार्टियों के बीच सौहार्द, प्रेम और भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए काम करने की आवश्यकता है, ताकि हम एक मजबूत और स्थिर लोकतंत्र का निर्माण कर सकें।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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