शुक्रगुजार
“सर इस पुरानी किताब को आप क्यों बँधवाना चाहते हैं?” दुकानदार शौकत अली ने कहा।
दुकानदार से प्रोफेसर राय की दोस्ती -सी हो गई थी। दुकानदार प्रोफेसर के व्यवहार से शुरू से अभिभूत था।
दुकानदार की जिज्ञासा देख प्रोफेसर ने कहा, “शौकत भाई, यह किताब मुझे याद दिलाती है कि जब मैं बहुत गरीब था और एक ग्रामर की किताब मेरे पास नहीं थी तो मुझसे एक साल सीनियर कृष्णा मड़ैया ने यह किताब देकर मेरी सहायता की थी।”
दुकानदार प्रोफेसर राय के ज़मीर को देख चकित रह गया।
“आप जैसे शुक्रगुजार व्यक्ति कभी जिंदगी में असफल नहीं होते” दुकानदार शौकत अली ने कहा।
दोनों की आँखों में दिव्य ज्योति झलकने लगी।
— निर्मल कुमार दे