कविता

नयी बहार मिले सबको

नए वर्ष की नयी सुबह से, नयी नयी उमंग मिले।
सूरज की पहली किरनों से, नयी नयी तरंग मिले।।


कुबेर की नजर इनायत हो, त्रास की न आस रहे-
सागर सुख का लहराये, जीने का नया ढंग मिले।।


भोर सबा जब लहराये तो, राग नये-नये गाये-
रिश्ते सारे मॅहकाये, अब विछड़ों का भी संग मिले।।


नया दयार मिले सबको, नयी बहार मिले सबको-
आरजू न कोई शेष रहे, जो देखे वही दंग मिले।।


नया निखार मिले सबको, नया विहार मिले सबको-
ब्याकुल न कोई रहे यहां, सबको यहां रसरंग मिले।।


कायम ‘‘राज’’ सदा रहे, मोहताज कोई न यहां रहे-
मंगलमय नववर्ष रहे, ख्वाबों के सारे विहंग मिले।।

राज कुमार तिवारी ‘‘राज’’
बाराबंकी

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782