लघुकथा

शुगर लेवल

” बीबी जी, खानें में क्या बनेगा आज? छुट्टी का दिन है। वडा पाव, कचोरी, दही भल्ला बना दूं या नूडल्स, फ्राईड राईस?

या रवा ईडली सांभर?” 

“कहो तो मेथी के थेपले और कच्चे टमाटर की चटणी?”

“अरे, मेरी सुपरफास्ट, रूक जा जरा।”

” आपके भैया जी को वडे बहुत पसंद है ना? मेहमान आने वाले है ना आज?”

वडा पाव, मसाला पापड, फ्राईड राईस, रायता और गाजर का हलवा।”

” कैसा है मेनू?”

“अरे बावली, बोलती ही जायेगी? पता है न कल अपने मोनू के पापा की शुगर लेवल हाय आयी है।”

“क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है मेरे।

आलू नहीं, चावल नहीं, मीठा नहीं…मैदा नहीं, ब्रेड नहीं… डाक्टर साहब ने हमारा मूड ही ऑफ कर दिया। क्या सुखी रोटी और घास फूस खाये अब?”

“अकेले खाने का मन भी तो नहीं होता।”

“सही कहा बीबी जी आपने।”

” तो क्या चटपटा खाना न खायेंगे भैया जी? और गाजर का हलवा? कैसे चाट-चाट के खाते है। बडे शौकीन है। इतने प्यार से कोई खाये, कितना सुकून मिलता है।”

“ए सुकून वाली, इतना मीठा बोलेगी तो डायबिटीज की बिमारी बढ़ नहीं जायेगी? चुप भी कर अभी। जा, पालक का सूप, दाल, मूली पत्तों की सब्जी बना दे। ज्वार  का रोटा बना देना। चावल की खीर खूब सारे ड्राय फ्रुट डालकर बना दे। याद रखना, थोडी फीकी खीर निकाल कर रखना भैया जी के लिए। हां, कल कच्चे केले जरूर लाना।”

” कुछ तो मनपसंद होना चाहिए। कल केले की पाव भाजी बना देना। और सुन हम सब परांठा भाजी खायेंगे। समझ गयी?”

“ओफ्हो, क्या मुसीबत है।”

” इससे अच्छा तो भुने चने ही खा लो।”

मुँह में पल्लू ठूंसती, हंसती हुई वह रसोई घर में चली गई। 

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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