लघुकथा

लहरों जैसा है जीवन

शांता का पूरा जीवन सीधी रेखाएं खीचकर कलाकृतियाँ बनाते हुए बीत गया। वेंटिलेटर पर अंतिम सांसें लेते हुए उसे एक के बाद एक अपनी कला प्रदर्शनियां व उनमे मिले पुरुस्कार व सम्मान याद आ रहे थे।
उसे याद आ रहा था कि उसके शानू ने कहा था,”शांता जीवन तो आड़ी तिरछी रेखाओं से ही बनता है –सीधी रेखाएं तो जीवन अंत की ओर ही इशारा करती हैं। ”
उसे यह भी याद करके दुःख हो रहा था कि उसने बिटिया उम्मीद को एक भी सीधी रेखा खींच न पाने के लिए क्यों मारा था ?
आज उसने उम्मीद को पुकारने की कोशिश भी की,ताकि वह सामने के ‘ ई सी जी ‘ मोनिटर पर आने लगी इन सीधी रेखाओं को आड़ी तिरछी रेखाओं में बदल दे। पर काश उम्मीद ऐसा कर पाती ! **
— विष्णु सक्सेना

विष्णु सक्सेना

पिता - स्व ;महाशय विशम्बर दयाल माता -स्व ;श्रीमती कौशिल्या देवी जन्म -26 जनवरी 1941 ,दिल्ली शिक्षा -,डी एम् ई आनर्स रूडकी विश्वविद्यालय 1964 सम्प्रति -सेवा निवृत डिप्टी चीफ इंजिनियर एच एम् टी पिंजोर ; अब स्वतंत्र लेखन ; राज्य श्रेष्ठ कृति -बैंजनी हवाओं में [काव्य संग्रह ] भाषा विभाग हरियाणा द्वारा [1972] ;अक्षर हो पुरुस्कार तुम [खंड काव्य ] हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा 2014 ; पुरुस्कृत कहानियाँ -वापसी [1996] ,चमक आत्म सम्मान की [1997] ,मुक्ति एक बोन्जाई की [1999] तीनो कहानियां हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरुस्कृत लघु शोध प्रबंध -विष्णु सक्सेना –व्यक्तित्व व कृतित्व [1998] कुसुम लता द्वारा :कहानीकार विष्णु सक्सेना [2004] अनीता नयन द्वारा : अक्षर हो तुम में मानव मूल्य [2017] कृषण चंदर द्वारा ; सभी कुरुषेत्र विश्वविद्यालय हरियाणा से एम् फिल के लिए स्वीकृत सम्मान -राष्ट्रीय हिंदी सहस्त्राब्दी सम्मान [2000] मानव संसाधन मंत्रालय नई दिल्ली : व अन्य सम्पादन -कलादीप [लघु पत्रिका ]1973 से 1975 तक :चित्रांश उदगार [एकता अंक ]सितम्बर 1997 मौलिक कृतियाँ -काव्य संग्रह –बैंजनी हवाओं में 1976, गुलाब कारखानों में बनते हैं 1995,धूप में बैठी लड़की 2010 .सिरहन सांसों की 2013 :खंड काव्य –अक्षर हो तुम 2013 ,सुनो राधिके सुनो 2021 : कहानी संग्रह _बड़े भाई 1995 ,वापसी 2003 : लघु कथा संग्रह _एक कतरा सच 2018 सम्पर्क -एस जे 41 , शास्त्री नगर ,गाज़ियाबाद 201002 उ प्र : मो - 9896888017 ई मेल [email protected]

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