कविता

कल खो दिया हमने आज के लिए

कल खो दिया हमने आज के लिए
आज खो दिया हमने कल के लिए
आज की खुशी भी गंवा दी हमने
चैन फिर भी नहीं मिला एक पल के लिए

और अच्छे के लालच में
जो पास था वह भी गंवा दिया
दूसरों को अपना बनाने की चाह में
अपनों की भी दूर पहुंचा दिया

आज ही अपना यह जानते हुए भी
कल के लिए बुनते रहे सपने
पहुंच गए थे मंजिल के बहुत करीब
खींच कर ले गए वही दूर जो थे अपने

दुनियां में बहुत हैं जिनके पास कुछ नहीं
उसी में खुश है जो किस्मत से है मिला
जो भी मिला है वही काफी है
फिर किसी से क्या शिकवा कैसा गिला

कल आज के चक्कर में सब कुछ गंवा दिया
जो मिला था वह भी नहीं रहा याद
जिंदगी बीत गई इसी कशमकश में
जो पल मिले थे खुशियों के वह भी कर दिए बर्बाद

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र

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