अटल हमारे अटल तुम्हारे
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
नहीं रहे अब बीच हमारे।
जन जन के थे राज दुलारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
बेबाक रहे बोल चाल में।
मस्ती दिखती चालढाल में।
अश्क बहाते घर चौबारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
अगर कहीं कुछ सही न पाया।
राजधर्म तब जा सिखलाया।
इसीलिये थे सब के प्यारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
“”
सजे मंच पर जब आते थे।
झूम झूम कर फिर गाते थे।
नहीं बिसरते आज बिसारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
चला गया जनता का नायक।
छोड़ सभी कुछ यार यकायक।
जन जन उनको आज पुकारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
किया देश हित जीवन अर्पण।
बिरला देखा गूढ़ समर्पण।
रोते हैं यूँ चाँद सितारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
कम से कम की दिल आज़ारी।
खेली जम कर अपनी पारी।
लगा रहे सब मिल जय कारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
राजनीति थी खेल खिलौना।
खेला करके सब को बौना।
शब्द चढ़ाये शब्द उतारे।
अटल हमारे अटल तुम्हारे।
— हमीद कानपुरी