ज़ख्म
यही हकीकत है,
सर्वश्रेष्ठ नृत्य है,
उम्मीद है,
न्यायसंगत तथ्य है,
जिंदगी की गलतियों का आभार है,
निम्न कृत्यों का,। सबसे खूबसूरत उपहार है।
नव चेतना से लैस है,
उम्मीद बनाएं रखने की तैस है।
आंकलन है,
मजबूत ताकत बनकर तैयार रहने का सिंहासन है।
इसकी सोहबत रखनी चाहिए,
हुनरमंद हाथों में ही,
इसकी खिदमत होनी चाहिए।
यही कुशल नेतृत्व का संकल्प है,
हम कह सकते हैं,
यही उम्मीद है,
मजबूत दृढ़संकल्प है।
इसकी आबोहवा खराब होती है,
हांथ में नमक लिए,
शरारती तत्वों की,
उम्मीद बढ़ती रहती है।
खुशियां भरपूर मिले,
नहीं चाहते हैं लोग,
हरेक फ़साद से रूबरू कराने में,
खेल कूद करते हुए,
तकलीफ देते रहते हैं लोग।
हमेशा आगे बढ़ने में,
इसकी वजह जगजाहिर है।
खेल कूद में,
गुज़र जाती है जिंदगी,
नहीं खबर पक्की मिल पाता है,
मुश्किल में यही जिंदगी को,
मिलता यही डगर है।
नवीन चेतना को जागृत करने में,
यही जख्म सीख देती है।
ज्ञात हो या न हो,
सबकी खबर रखने में,
एक नजीर बन जाती है।
— डॉ. अशोक, पटना