गीतिका/ग़ज़ल

हिंदुओ

अपने मिटने का इंतजार कर,
अपने घटने का इंतजार कर।

धरे रह जाएंगे बंग्ले-गाड़ी,
अपने कटने का इंतजार कर।

बराबर भी हुए जिस दिन वो,
सब कुछ मिटने का इंतजार कर।

जाग मत, सोए रहना भइए,
अपने छॅंटने का इंतजार कर।

तुम हो तो संविधान है कायम,
उसके फटने का इंतजार कर।

जाति को जाति से लड़ा देंगे,
बस निपटने का इंतजार कर।

तुम्हारी संस्कृति निगल जाएंगे,
संघ के हटने का इंतजार कर।

गया वर्मा, बांग्लादेश, पाकिस्तान,
और सिमटने का इंतजार कर।

हमें तो अपने ही डुबो देंगे,
उनके सटने का इंतजार कर।

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154

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