कहानी

कहानी – नजरअंदाज न करें

रवि और नेहा शादी के बाद पहली बार छुट्टियां मनाने बाहर गए थे। दोनों एक कैफे में बैठे हुए थे, तभी रवि के फोन की घंटी बजी। उसने फोन देखा, “मां का कॉल है।”
नेहा ने झुंझलाते हुए कहा, “अरे यार, हम बाहर आए हैं। हर थोड़ी देर में फोन क्यों करना? फोन बंद कर दो।”
रवि मुस्कुराया और बोला, “नेहा, यह उनकी आदत है। मुझसे हालचाल पूछने का मन करता है। मैं बात कर लेता हूं।”
नेहा गुस्से से बोली, “तुम्हारे घरवाले भी न! कभी आराम से जीने नहीं देते।”
रवि ने बात खत्म की और फोन रखा। कुछ ही देर बाद नेहा का फोन बजा। उसने देखा, “मां का कॉल है,” और फोन साइड में रख दिया। रवि ने कहा, “तुम्हारी मां का कॉल है, उठा लो।”
नेहा झुंझलाते हुए बोली, “मुझे नहीं बात करनी। उनकी बेवजह की बातें सुनकर मूड खराब हो जाता है।”
रवि गंभीर होकर बोला, “नेहा, क्या तुम जानती हो, एक बार मैंने अपनी मां का कॉल इग्नोर किया था। उसी दिन मेरे पापा को हार्ट अटैक आया था। मां हॉस्पिटल में थीं और मुझसे संपर्क करने की कोशिश कर रही थीं। लेकिन मैंने फोन नहीं उठाया। उस गलती की कीमत मैं अपनी जिंदगी में कभी नहीं भूल सकता।”
नेहा ने हैरानी से पूछा, “फिर क्या हुआ?”
रवि की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, “मां ने हर कोशिश की, लेकिन पापा नहीं बच सके। काश मैं वह फोन उठा लेता तो शायद मेरे पापा बच गए होते। तब से मैंने ठान लिया कि मां का फोन हमेशा उठाऊंगा, चाहे कितनी भी व्यस्तता क्यों न हो।”
नेहा की आंखें नम हो गईं। उसने कहा, “मुझे समझ आ गया, रवि। मैं गलत थी। कभी-कभी हम अपनी व्यस्तता में अपनों की अहमियत भूल जाते हैं।”
नेहा रवि का फोन उठा करके देता और बोलती है कि अपनी मां से बात कर लो मैं भी अपने मां से बात करती हूं
नेहा फोन लगाती तो उसकी मां का फोन बोली बिजी जाता है वह दोबारा फोन लगाती है मां फोन उठाती है बोलती है बेटा जल्दी घर आओ तुम्हारे पापा सीढ़ियों से गिर गए हैं बहुत चोट लगी है ।
यह सुनते ही नेहा का चेहरा सफेद पड़ गया। उसने तुरंत रवि का हाथ पकड़ा और कहा, “चलो, जल्दी चलते हैं पापा सीढियों से गिर गए हैं।”
नेहा और रवि अपने पापा को जब अस्पताल पहुंचाने के बाद बाहर बैठे थे । नेहा अपने मां से माफी मांगते हुए बोली मुझसे गलती हो गई मां जो आपका फोन इग्नोर कर रही थी। अब ऐसा कभी नहीं होगा।”
रवि और नेहा दोनों ने उस दिन समझा कि अपनों का फोन कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए। कभी-कभी एक फोन कॉल हमारी जिंदगी बदल सकता है।

— विजय गर्ग

विजय गर्ग

शैक्षिक स्तंभकार, मलोट

Leave a Reply