कविता

खोजबीन जारी है

वो आया,
पानी मांगा,
फिर रोटी मांगा,
रात भर रहने देने की
इजाजत मांगी,
इजाजत मिली,
पानी मिला,
रोटी मिली,
रात भर सोने के लिए
जगह मिला,
बिछाने के लिए चटाई,
ओढ़ने के लिए कंबल मिला,
कुछ दिन और जीने का संबल मिला,
और अगले दिन
उस गरीब किसान का घर
उस अजनबी का था,
बिना पूछे वो मालिक
उस मातृतुल्य जमीं का था,
इस तरह से
एक घर उजाड़ कर
तत्काल दूसरा घर बस गया,
उस किसान की
उसके परिवार वालों की
सघन खोजबीन जारी है।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

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