नव वर्ष का आगमन
नव वर्ष का आगमन
झूम उठे धरती गगन
मोर पपीहे तोता कोयल
एक स्वर में गाए भजन
नव वर्ष में नई उमंगे
कल कल करती उड़े तरंगे
बाग बागीचे लगे मनोहर
मुरझे हुए खिल गए सुमन
नदी तालाब झील झरने
इनकी देखो बात अनोखे
हरा भरा ये चादर ओढ़े
देखो कैसे मन को मोहे
तितली भौरे और पतंगे
घूम रहे है मस्त गगन में
थाल देखो खूब सजाए
नव वर्ष का स्वागतम।
— विजया लक्ष्मी