स्वागत वर्ष 2025
शांति, सौम्यता, सौहार्द का सुंदर तिलक कर भाल,
आओ जगाएं दिलों में प्रेम अग्नि की दिव्य मशाल,
करें स्वागत वर्ष 2025 का बजाएं दुंदुभी, करताल,
नई उम्मीदें, कई नये सपने लेकर आया ये नया साल ।
न दुखाएं दिल किसी का ना किसी को करे नाराज़,
लाएं मिलकर एकता से श्रृंगारित अखण्ड राम राज,
भूतकाल की गलतियों से लेकर सबक, करें काज,
आओ अपने को कर माफ़ स्वीकारें सबको आज़ ।
दिल के दरवाजे खोल प्यारी मुस्कुराहट बिखराएं,
करूणा, विनम्रता के सुमन बन जग को महकाएं,
विश्व में सदाचार की सदाबहार खुबसूरती फैलाएं,
“आनंद” जागृत कर दिलों को दिलों से यूं मिलाएं ।
मायूसी को छोड़ो जिंदगी में लाओ उमंग नवीनता,
श्रम लेखनी से पल में भाग्य लिखा संवर सकता,
बीता 2024, समय किसी के लिए नहीं है रूकता,
हो गतिशील सही दिशा में सतत् कर्म जागरूकता ।
हौसले के दम पर लक्ष्य को विजय श्री चलो करें,
रह गए हैं जो ख्वाब अधूरे उनमें फिर से रंग भरे,
इंसानियत का अलौकिक शक्ति पुंज बन उभरे,
स्वयं की प्रगति के साथ देश की उन्नति भी करें ।
तरंगित आंतरिक व बाह्य प्रसन्नता बढ़ाती है शोभा,
सत्यमेव जयते दामिनी सी चमकती हुई ये आभा,
आचरण में धन्यवाद भाव भी लाता उच्चतम प्रभा,
चेहरे पर झलकें फिर शीतलता संतोषित चंद्रप्रभा ।
— मोनिका डागा “आनंद”