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2024 को अलविदा और 2025 का हार्दिक अभिनन्दन -अंतस् की 65वीं गोष्ठी

ख़ुशनुमा ज़िन्दगी हो नये साल में
प्यार में ताज़गी हो नये साल में
अध्यक्षीय उद्बोधन में अंतस् की साहित्यिक गतिविधियों की सराहना करते हुए वरिष्ठ कवि-पत्रकार चेतन आनंद ने अपने उत्कृष्ट गीतों के माध्यम से सभी को शुभकामनाएं दीं और गुरु महाकवि डॉ कुंअर बेचैन जी की तरह सरल, तरल और विनम्र स्वभाव बना रखने का सुझाव दिया।

बेहद शानदार और रसाप्लावित रही अंतस् की 65वीं गोष्ठी।
श्री चेतन आनंद जी की अध्यक्षता और श्रीमती वंदना कुंअर रायज़ादा जी के मुख्य आतिथ्य में गोष्ठी का संयोजन-संचालन किया डॉ पूनम माटिया ने। सरस्वती वंदना प्रस्तुत की श्रीमती दीप्ति अग्रवाल दीप ने। विभिन्न विधाओं में काव्य रस-वृष्टि करने वाले कवि-कवयित्रियों में शामिल रहे सर्वश्री चेतन आनंद, वंदना कुंअर रायज़ादा,पूनम माटिया,सुषमा भंडारी, दरियाब सिंह राजपूत ब्रजकण, डॉ अवधेश तिवारी ‘भावुक’, दीप्ति अग्रवाल दीप, पूजा श्रीवास्तव, डॉ सरिता गर्ग सरि तथा प्रवासी नीना शर्मा (होलैंड)।
रोचक व‌ अनुशासित संचालन के साथ काव्य पाठ के दौरान पूनम माटिया ने नवजीवन-नववर्ष को रेखांकित करते हुए गीत पढ़ा -वृद्धावस्था है एक चुनौती /जानता है ये हर एक जन
पर जब बच्चे बनते लाठी/तब होता है नवजीवन।।
पल-पल होते नवजीवन को/ आओ करें हम सब नमन
पुलकित मन और ऊर्जित तन से/ नव वर्ष का हो आगमन।।
ग़ज़ल को भी दाद हासिल हुई-
ज़िन्दगी के इस सफ़र में बचपना जो खो दिया
तो अजब बीमारियों का सिलसिला हो जाएगा
मुख्य अतिथि वंदना कुँअर रायज़ादा चाहिये और दोहों से समृद्ध शानदार काव्य पाठ किया-
हो नवल उत्साह मन में और नूतन साज़ हो
हों नई चाहें हृदय में और नई आवाज़ हो
स्वप्न देखे जो सभी ने पूर्ण हों इस वर्ष में
ईश! अपनों के ही संग नव वर्ष का आग़ाज़ हो।

दीप्ति अग्रवाल ‘दीप’ ने वाणी-वंदना के साथ गोष्ठी का शुभारंभ किया तथा बाद में एक ग़ज़ल भी पढ़ी –

शुभ्र वस्त्रा हंस वाहन वेद पुस्तक धारिणी/हो चतुर्भुज तुम भवानी मात वीणा-वादिनी/शान्तिमय है रूप सुंदर और आसन है कमल/कांतिमय गरिमा तुम्हारी रोशनी देती नवल

यादों के बिखरे कमरे में चैन भला हम पाएँ क्या/किसे बुहारें किसे समेटें ऐसे धूल हटाएँ क्या
गूँजते हैं सन्नाटे हर पल दीवारों के भीतर अब/घर वाले ही घर न हों तो ऐसे घर को जाएँ क्या
वरिष्ठ साहित्यकार सुषमा भंडारी ने माहिया से आगाज़ कर दोहे भी शानदार पढ़े—
अंतस के मेले में/आओ घूमें हम/क्यूँ रहें अकेले में
जिसमें तेरी रज़ा, उसमें मेरी शान।
है बिन तेरे मेरे प्रभु, नहीं मेरी पहचान।।

पूजा श्रीवास्तव ने नव वर्ष के संदर्भ में गीत पढ़ा –
अत्याचारी का अब राज सिमट जाए
देश में होते आडंबरों का खंडन हो

अवधेश तिवारी ‘भावुक’ ने जोश के साथ काव्य पाठ किया-
उन्हें कहें, हम क्या कुछ जिनको/समझ नहीं कुछ आना है l
जो समझें,उनसे क्या कहना/ उनको क्या समझाना है ll
डॉ सरिता गर्ग ‘सरि’-राग के गेह में तुम नव मेह की वर्षा करो
धरा धरणि में तुम नित नूतन आयाम रचा करो
दरियाब सिंह राजपूत ब्रजकण की छंदोंबद्ध काव्य प्रस्तुति रही और नीना शर्मा ने भाव पूर्ण शब्द कहे।

साथ में सुधि श्रोताओं में शामिल रहे श्री नरेश माटिया, डॉ दिनेश कुमार शर्मा, श्री कंवल कोहली, श्रीमती सोनम यादव तथा अन्य।

डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया दिलशाद गार्डन , दिल्ली https://www.facebook.com/poonam.matia [email protected]

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