कविता

कविता

चिड़ियों को आसमान में
उड़ते देखकर
मेरी भी इच्छा होती है
उड़ने की ही नहीं
आगोश में लेने की
पूरे आसमान को।
कितना आजाद और
अनंत है यह आसमान।
सीपी के मुख पर
पड़ने की उत्सुकता से
स्वाति नक्षत्र की एक बूंद
बंद हो मोती बनना चाहती है।
अद्भुत इच्छा का दृश्य होगा वह
तुम्हारे लिए नहीं मेरे लिए।
मैं अपने लिए नहीं
सिर्फ तुम्हारे लिए चाहता हूं संवारना
एक नई सुंदर जिंदगी।
तुम्हारी साफ उजली आंखों में
पल रहे सपने तृप्ति के नहीं
अक्सर बेचैन इच्छा के।
एक बेहद निश्छल हंसी
वीराने रेगिस्तान में पानी की झलक
दिखा जाने की चाहत।
बहते झरने का सुंदर दृश्य नहीं है यह।
यह समय की पीठ पर
तुम्हारी कोमल पतली उंगलियों के सहारे
किये गये हस्ताक्षर हैं।

— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

द्वारा विद्या रमण फाउण्डेशन 121, शंकर नगर,मुराई बाग,डलमऊ, रायबरेली उत्तर प्रदेश 229207 M-9670040890

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