मनहरण घनाक्षरी
एक नई शुरुआत,
करे प्रेम बरसात,
सुरभित पुष्प बन,
जग महकाइए।।
सब मिल हो पहल,
सहेजे वन जंगल,
पेड़ लगा यहां वहां,
छाँव आप पाइए।।
प्राकृतिक संसाधन,
उर्जित रहे यौवन,
मासूम बचपन में,
आह्लाद सजाइए।।
अकेले अपने नहीं,
झरे अँसूवन नहीं,
बिछाते चले कुसुम,
बहार ले आइए।।