शांति नववर्ष
नया साल नया पैगाम लाया
नफ़रत के बगीचे में
महोब्बत का गुलाब खिलाया।
छोड़ चुके हैं जो हमें
उनको भी हमारा
मुस्कुराना याद आया।
जलते हैं जो हमारे कार्य से
उनको भी हमारा
काबिल किरदार याद आया।
हार चुके हैं जो जीवन से
उनको भी अपना कोई
जिंदादिल यार याद आया।
थक चुके है जो
निज के युद्ध से
उनको भी शांति का
पैगाम याद आया।
नया साल विश्व शांति की
अद्भुत सौगात लाया।
— डॉ. राजीव डोगरा