सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति
प्रकृति की सुकुमार गोद में अवस्थित सिक्किम पूर्वोत्तर भारत का एक छोटा और शांतिप्रिय प्रदेश है I संस्कृति, भाषा, परंपरा, रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार, वेश-भूषा आदि की दृष्टि से यह विविधवर्णी, रंगीन और जीवंत प्रदेश है I सिक्किम को रहस्यमयी सौंदर्य की भूमि व फूलों का प्रदेश जैसी उपमाएं दी जाती हैं। नदियाँ, झीलें, बौद्धमठ और स्तूप बाहें फैलाकर आगंतुकों का स्वागत करते हैं। विश्व की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा राज्य की सुंदरता में चार चांद लगाती है । यहाँ हिंदू मंदिरों, बौद्ध मठों, चर्चों, मस्जिदों और गुरुद्वारों का सहअस्तित्व है। असंख्य संस्कृतियों ने एक सर्वोत्कृष्ट सिक्किमी संस्कृति का निर्माण किया है जिसकी झलक प्रदेशवासियों की जीवन शैली में दिखाई देती है । विभिन्न उत्सवों, त्योहारों और सांस्कृतिक नृत्यों में प्रदेश की साझी संस्कृति प्रतिबिंबित होती है I सिक्किम को चार जातीय समूहों में विभक्त किया जा सकता है जिनके नाम हैं-लेपचा, लिंबू, भूटिया और नेपाली I प्रथम तीन कमोबेश एकल जातीय समूह हैं, लेकिन नेपाली जातीय समूह के अंतर्गत अनेक जातियाँ, उपजातियाँ और जनजातियाँ शामिल हैं I लेपचा असंदिग्ध रूप से सिक्किम के प्रारंभिक निवासी हैं I मोटे तौर पर सिक्किम में 21 समुदायों के लोग रहते हैं I सिक्किम में भुजेल, भूटिया, बाहुन, छेत्री, दमई, गुरुंग, कामी, राई, लेपचा, लिंबू, मगर, नेवार, जोगी, सरकी, शेरपा, मुखिया (सुनुवार), तमांग और थामी समुदायों और जनजातियों के लोग रहते हैं । सिक्किम में राई सबसे बड़ा जातीय समुदाय है जिसके बाद छेत्री का स्थान है । अनुसूचित जातियों में कामी सबसे बड़ा समुदाय है जिसके बाद दमई और सरकी आते हैं। सिक्किम में सबसे कम जनसंख्या वाला समुदाय दीवान और थामी है। नेपाली के आगमन के बाद हिंदू धर्म राज्य का सबसे बड़ा धर्म बन गया है जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 64 प्रतिशत है । यहाँ बौद्ध धर्मावलम्बियों की संख्या लगभग 28 प्रतिशत है I येलोग बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा के अनुयायी हैं I
किसी राज्य और राष्ट्र की समृद्धि का आकलन उसकी सांस्कृतिक और सामाजिक उन्नति से किया जाता है। सांस्कृतिक दृष्टि से सिक्किम अत्यंत समृद्ध प्रदेश है। सिक्किम की कला, साहित्य, पर्व-त्योहार, संस्कृति और नृत्य की भव्यता और विविधता अतुलनीय है। सिक्किम के जातीय समुदायों और उपसमुदायों के पास अपनी भाषा है I प्रदेश की विशिष्ट लोक परंपराओं की विविधता मनमोहक है I राज्य सरकार द्वारा सिक्किम की संस्कृति के पल्लवन व पोषण के लिए कई महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं I सिक्किम में बोली जानेवाली सभी मुख्य भाषाओं को राज्य भाषा का दर्जा दिया गया है। विशेष रूप से भूटिया, लेपचा और लिंबू भाषाओं को कॉलेज पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है जबकि राई, गुरुंग, नेवार, मंगर और तमांग जैसी अन्य भाषाएँ माध्यमिक विद्यालय तक पढ़ाई जाती हैं। सिक्किम भारत का एक मॉडल जैविक राज्य बन गया है। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य कृषि विभाग ने महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किए हैं। सिक्किम में जैविक खेती की यात्रा 2003 में शुरू हुई थी । 2010 में सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन का शुभारंभ किया गया I सिक्किम जैविक बोर्ड के गठन से जैविक खेती की गति तेज हुई I अब यह प्रदेश जैविक खेती के मामले में पूरे देश को दिशा दिखा रहा है I
पुस्तक-सिक्किम : लोकजीवन और संस्कृति
लेखक-वीरेन्द्र परमार
प्रकाशक-मित्तल पब्लिकेशन, नई दिल्ली (मोब.9810444531)
वर्ष-2024
मूल्य-700/-