धन ही गणित में, धन ही जगत में,
धन बिन अपना कोई न यहाँ पर, संबन्ध भी धन की माया है।
धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।
धन हित ही सन्तान को पालें।
धन हित चलते हैं यहाँ चालें।
धन हित ही महाभारत होते,
धन हित भाई, भाई को टालें।
धन है स्वारथ, धन परमारथ, धन-मन, धन ही गाया है।
धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।
धन हित, प्रेमी, प्रेम लुटाएं।
धन हित बिकतीं हैं ललनाएं।
धन हित पति है, धन हित पत्नी,
धन हित मिटते और मिटाएं।
धन से ही सब मिलता यहाँ पर, धन ने सब ठुकराया है।
धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।
धन का उल्टा ऋण होता है।
धन बिन किसने हल जोता है।
धन बिन कोई बीज न मिलता,
धन बिन सब, जीरो होता है।
धन हित, भाई, भाई को मारे, गले लगाया, पराया है।
धन ही गणित में, धन ही जगत में, धन हर दिल में छाया है।।