न कहना अलविदा
न कहना अलविदा ,इस बीते साल को यारा
कोसना कभी नहीं दिल से बदहाल को यारा
जो बीत गया उस को कभी बुरा नहीं कहते,
खुश रहना सीखो गमीं में हर हाल को यारा
मन शांत कर बैठे जो हमने सपने संजोए थे ,
हासिल किये, समझ वक्त की चाल को यारा
चाह कर भी पा नहीं सके, रहे हाथ थे मलते ,
आज फिर से धो दो उस ही मलाल को यारा
न कहना अलविदा रेहमत इस की मीत मिला,
तरसते थे रहे उस रुखसार के गुलाल को यारा
सदा मिलता वही लिखा जो होता है मुक़द्दर में
कड़ी मेहनत से रौंदा हमनें इस खाल को यारा
चलता लक्ष्य साध के मंजिल मिल ही जाती है,
अपनाएंगे फिर हम उस वक्त की ढाल को यारा
ढेर सारी नई उम्मीदे नया अब यह साल लाएगा,
ऊंचा उठाएंगे दुनिया में वतन के भाल को यारा
— शिव सन्याल