कुण्डली/छंद निर्मल प्रेम *चंचल जैन 06/01/202506/01/2025 0 Comments रटती गिरिधर नाम की, माला सुधबुध भूल। गाथा निर्मल प्रेम की, भक्ति भाव के फूल। भक्ति भाव के फूल, थाट सब त्यागे मीरा। मन मोहन श्री कृष्ण, हाथ में हैं मंजीरा।। पावन है ये प्रीत, भजन नित पूजा करती। एक नाम घनश्याम, रात दिन मीरा रटती।।