वंदना
नमन मां शारदे।
हंसवाहिनी, मां सरस्वती,
विराजो हॄदय में भगवती।
ज्ञानदीप आलोक भर दो,
सिध्दिदात्री विद्या-धन दो।।
सुर, लय, ताल, गीत गुंजन,
मधुर राग सु-स्वर सृजन,
पद्मासना भारती, वर दो,
सार्थक ललित हो लेखन ।।
मनभावन रचना सुकृत,
सरस लेखन हो अलंकृत
वीणावादिनी, आशीष दो,
विमल, मृदुल बोल झंकृत ।।
पूजनीया माँ सरस्वती,
त्रिवार वंदन माँ गायत्री,
वागीश्वरी, वरदान दो,
मिले सुयश, अलभ्य कीर्ति।।