हैसियत
वक्त एतबार छोड़कर चले जाते हैं,
नज़रों से देखा जाए तो,
बहुत कुछ कह जाते हैं।
जमीनी हकीकत से रूबरू होना चाहिए यहां,
वक्त बदलती है,
इसकी वजह से ही हिम्मत जुटाई जाती है,
लोगों को इन्सानियत को बरकरार रखने में,
काफी देर लगती है।
इसकी वजह से ही,
सबकुछ ठीक है अथवा नहीं,
कही और सुनी जाती है।
खैरियत भला यहां कौन पूछता है,
यह सब लोग इस वजह से,
अक्सर रूबरू नहीं होना चाहता है।
खैरियत से रूबरू होना जरूरी नहीं है,
अक्सर लोग कहते हैं कि,
परिचय कराने वाले से,
जनाब की हैसियत क्या है।
मुश्किल से मुश्किल वक्त में,
हमेशा एक मजबूत पहल करनी चाहिए यहां।
ऐसा नहीं हुआ है तो,
भरपूर कोशिश होनी चाहिए यहां।
मेहनत जोश और उत्साह से भरपूर होने पर,
सहयोग बनाए रखने की ताकत मिलती है।
नवीन प्रयास किया जाता है,
यही से शक्ति ओर ऊर्जा को,
आमने-सामने भीड़ने की जरूरत सबके सामने,
खड़ी हो जाती है।
— डॉ. अशोक, पटना