कविता

जब प्राण तन से निकलें

इतना तू करना प्रभु,
जब प्राण तन से निकलें,
हर पल तेरा रूप हो,
हर सांस पर तेरा नाम निकलें,

सब मोह माया छोड़ कर,
दुनियां से नाता तोड़कर,
बस तेरा साथ प्रभु हो,
जब प्राण तन से निकलें,

तेरे चरणों में सिर झुका रहें,
तेरा हाथ सिर पर रखा रहें ,
तेरे सहारे भवसागर से पार हों,
जब प्राण तन से निकलें,

दिन रात तेरा सुमिरन करते रहें,
तेरे रूप के हर पल दर्शन होते रहें,
प्रभु के नाम स्मरण करते रहें,
जब प्राण तन से निकलें.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश

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