गीत/नवगीत

जीवन पथ पर साथ था चाहा,

तुमने पथ ही मोड़ दिया

जिस हाथ से हाथ था पकड़ा, तुमने हाथ वह तोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

विश्वास से संबन्ध विकसते।

विश्वास से हैं सुमन विहँसते।

विश्वास पर चोट की तुमने,

कानून से देखा तुम्हें बहकते।

लालच, लोभ, कामुकता से भर, झूठा रिश्ता तोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

कानूनों को बना खिलोना।

तुमने चुना है प्रेमी सलोना।

रिश्तों को यूँ तार-तार कर,

कहाँ से सीखा झूठ बिलोना।

हमने सब कुछ तुमको सौंपा, तुमने सब कुछ फोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

रिश्तों से है तुमने खेला।

जिसको चाहा, उसको पेला।

स्वार्थ में अन्धी होकर के,

चोट की इतनी, हमने झेला।

हमने तुमको चाबी थी सौंपी, तुमने ताला तोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

बातचीत कर सब कुछ तय था।

किया वही, जिसको हमें भय था,

झूठे वायदे कर हमें फंसाया,

प्रौढ़ावस्था का तुम्हारा वय था।

निष्ठुरता से मार के ठोकर, धन लूटा हमें छोड़ दिया।

जीवन पथ पर साथ था चाहा, तुमने पथ ही मोड़ दिया।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)