कविता

मुश्किल दौर

अच्छे वक्त के इंतजार में ये बुरा वक्त भी गुजर जाएगा
लेकिन उसमे उपजा धैर्य फिर कहां से आएगा !

ख्वाहिशो के खूबसूरत शीशमहल तो बना लूं
लेकिन हकीकत के पत्थर से वो चकनाचूर हो जाएगा !

अपनो के वेश में परायो की पहचान कैसे करूं
ये मुखौटा तो मुश्किल दौर में उतर ही जाएगा !

तेजी से नकली होती जा रही इस दुनिया में
क्या असली भी कभी कुछ रह जाएगा !

सोचा तो था जिंदगी की सारी उलझने एक दिन सुलझ जायेगी
पता न था उसको सुलझाते सुलझाते जिंदगी ख़त्म हो जायेगी !

— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P

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