मुश्किल दौर
अच्छे वक्त के इंतजार में ये बुरा वक्त भी गुजर जाएगा
लेकिन उसमे उपजा धैर्य फिर कहां से आएगा !
ख्वाहिशो के खूबसूरत शीशमहल तो बना लूं
लेकिन हकीकत के पत्थर से वो चकनाचूर हो जाएगा !
अपनो के वेश में परायो की पहचान कैसे करूं
ये मुखौटा तो मुश्किल दौर में उतर ही जाएगा !
तेजी से नकली होती जा रही इस दुनिया में
क्या असली भी कभी कुछ रह जाएगा !
सोचा तो था जिंदगी की सारी उलझने एक दिन सुलझ जायेगी
पता न था उसको सुलझाते सुलझाते जिंदगी ख़त्म हो जायेगी !
— विभा कुमारी “नीरजा”