एक गीत हो जाये
एक गीत हो जाये
हृदय के समर्पण पर,
पथिक इस जीवन का
बिखर जाये कब ये तन,
एक गीत हो जाये
मृत्य के आसन पर,
बिलख रहे अपने
निर्भर जीवन किस पर,
एक गीत हो जाये
प्रेमी के आहट पर,
कितना विकट होता
एक दूजे के चाहत पर,
एक गीत हो जाये
विवाह के बंधन पर
जो जुड़े जीवन भर
एक सामाजिक मंथन पर।।
— अभिषेक कुमार शर्मा