कविता

मकर संक्रांति

पर्व सुहाना आया है बहुत खास,
जन-जन में छाया हर्षोउल्लास,
नाम अनेक अद्वितीय है महत्ता,
दसों दिशाओं में ईश्वर की सत्ता ।

भक्ति भाव के साथ बरसे “आनंद”,
सनातन संस्कृति जय सच्चिदानंद,
ब्रह्मांड में अद्भुत बना सुंदर योग,
तिथि मकर संक्रांति अद्भुत संयोग ।

सूर्य भगवान हुए अब उत्तरायण,
पृथ्वी पर आगाज़ हुआ है पावन,
खुशियां छाई देखो घर- घर गली,
खेतों में फसलें लहलहाई मखमली ।

बीहू, पोंगल लोहडी़, मकर संक्रांति,
आई देखो सुखद मधुरत्तम क्रांति,
तिल डालकर करो इस दिन स्नान,
रख लो अपनी संस्कृति का मान ।

शनिदेव की भी बरस रही है कृपा,
भाग्यशाली जिसने प्रभु नाम जपा,
तिल लड्डू, रेवड़ी, मूंगफली, गजक,
पावन पर्व की बिखरी निराली महक ।

भाईचारे को मिल हम सब बढ़ाएं,
तन, मन जीवन को सफल बनाएं,
संक्रांति के पावन पर्व की बहुत बधाई,
दुखों की कर दो अब सम्पूर्ण विदाई ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु

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