कविता

सरस्वती वंदना 

हंसवाहिनी माँ सरस्वती,

विराजो हृदय में भगवती,

ज्ञान दीप आलोक भर दो,

विद्या धन दो माँ भारती।।

कोकिल कंठ सुर गुंजन,

मंजुल स्वर संगीत सृजन,

श्वेत पद्मासना माँ वर दो, 

सत्यार्थी हो ललित लेखन।।

रचना सार्थक हो सुन्दर ,

लेखन हो सरस मनोहर,

वीणा वादिनी आशीष दो,

कलम हो बेबाक प्रखर।।

त्रिवार वंदन माँ गायत्री,

नमन, पूजन माँ सरस्वती,

वागीश्वरी विमल मति दो,

माँ शारदे दो यश, कीर्ति।।

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*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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