बच्चों का खेल
आज कितना बदल गया बच्चों का खेल
आनलाईन विडियो गेम बना दिया घर को बच्चों का जेल।
वो भी क्या दिन थे खेलों का जमाना,
जब बच्चों को खुले मैदानों में था खेलने जाना।
तरह तरह के होते थे शारीरिक और मानसिक खेलों का मेल,
पर अब तो खेलों के नाम पे बच्चों ने बना लिया घर को जेल।
हमें आज भी याद है कब्बडी की धुन और गिल्ली डंडा का रेश,
डेंगा पानी की मिठास और पिट्टो की खुशियों की तेस।
लट्टू के बेल्ला फाड़ का था बड़ा जोश,
कंचे के खेल कर देता था मदहोश।
लड़कीयों के कीत कीत खेल भी था बड़ा ही कमाल,
आईस बाईस, लुक्का छुपी में भी होते थे बडे़ धमाल।
उस जमाने के सारे खेल देते थे बच्चों को शारीरिक स्फूर्ति,
अब के आनलाईन खेल नहीं कर सकता है उसकी पूर्ति।
— मृदुल शरण