स्वप्नों की निर्झरिणी
सुख में स्वप्नों की निर्झरिणी
चंचल चप्पल चतुर कोई हिरणी
देखो मन मयूर का क्रंदन
जन्मों जन्मों का यह स्कंदन
यात्रा नहीं ये एक चक्र की
कथा रिजु, भ्रम और वक्र की
आकस्मिक यह नहीं कहानी
थोड़ा लाभ कभी कुछ हानि
दोनों पलड़े एक सरीखे
निर्भर है जिस पर जो सीखे
जीवन मतलब नित्य परीक्षा
सदा मिली हर बार जो शिक्षा
जगती-शिक्षक कहां दयालु
ईश्वर रहते सदा कृपालु
उनके वर सब गिन कर देखें
धैर्य नैन पल छिन भर देखें
“गीत” धरे धीरज धरणी, हो
सुख में स्वप्नों की निर्झरिणी
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”