माँ
माँ कहती रात होते ही लौट आना ।
बिना खिलाये बाहर न जाने देना।।
परेशानियों को बिन कहे समझ जाना।
तुझे क्या पता तुझ में ही उसका जान बसना।।
जितने बड़े हो जाओ उसका बच्चा समझना ।
चाहत रहती हरदम तुझे गले लगाना ।।
कहीं भी जाओ उसका दुआ देते रहना ।
मंदिरों में तेरे लिए मन्नतें को मांगते रहना ।।
संभव नहीं होता उसके प्यार को समझना ।
जानती नहीं अपने प्यार को कभी दर्शाना।।
सारी दुनिया को तुम तक सिमटा
स्वयं के लिए कभी न सोच पाना ।।
उसका उम्रदराज होना और तेरा भारी लगना ।
होता है जीवन के हौसले को तोड़कर रखना। ।
ममता की मूर्ति का दिल दुखाना।
अपने आपको सजा है जैसे देना ।।
— डॉ. मंजु लता