गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल

आपसी रंजिश को अब तो आप मिटा लो यारो
मिलकर एक दूजे को गले लगालो यारों

सख्त चट्टान है खोदना भी रहता बहुत मुश्किल
फिर भी खोदकर आसान राह निकालो यारो

माना कि संसद में हरदम ही होता है शोर
इसलिये इसकी गरिमा को अब बचा लो यारो

फेंका जो पत्थर आकर गिरा खुद के सिर पर
ऐसे पत्थरों को तुम व्यर्थ मत उछालो यारो

आदतन वे मुज़रिम ना है फिर भी पाते सजा
ऐसे लोगों को अब सजा से बचालो यारो

सबसे ही अलग थलग दिखे ये घर तुम्हारा
आओ इसे अब तो सुन्दर सा सजालो यारो

खींचो मत लकीरें आप रमेश के दरमियान
खींच गई तो उन लकीरों को मिटालो यारो

— रमेश मनोहरा

रमेश मनोहरा

शीतला माता गली, जावरा (म.प्र.) जिला रतलाम, पिन - 457226 मो 9479662215