कविता

नारी तो नारी है

लो कर दिए न आप सबसे बड़ा बकवास,
आराम से कह दिए औरत होती है बदमाश,
तो क्या आपके मां की ये बदमाशी थी कि
आप इस दुनिया में आए,
प्यारा दुलारा बेटा कहलाए,
क्या ये आपके बहन की बदमाशी थी कि
वह आपको अपना हमदर्द भाई बताती है,
आपके लिए दुआओं की दरिया बहाती है,
ये बदमाशी तो नहीं कि आपकी पत्नी
बन गई थी आपके बच्चों की मां,
बना गयी थी एक नया जहां,
इतनी घटिया परवरिश तो नहीं होगी आपकी,
कहां से लगा लिए लेबल घटिया छाप की,
पुरुष होने की थेथरई
आपके अंदर बह रही है,
तभी आपकी जुबान
औरत को बदमाश कह रही है,
कुछ एक के गलत कार्य से
सारी औरतें बदमाश नहीं हो जाती,
ऐसा कहते हुए आपकी
छाती क्यों नहीं फट जाती,
दुर्गावती,झलकारी,सावित्रीबाई,
इंदिरा, कल्पना चावला भी थी नारी,
कहां से आयी तुझमें मानसिक बीमारी।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

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