हार कैसे मान लूं
पापा के इंतजार की,
ख़बरें अहसास दिलाने में अहम भूमिका निभाने का,
सबसे खूबसूरत इल्म है।
इसकी वजह से ही,
जीत के इंतजार की कोशिश कर रहे हैं,
यह नहीं एक भ्रम है।
पापा की उम्मीदों पर खरा,
उतरने की कोशिश कर रहा हूं।
समझौते को लेकर,
अपनी हिफाजत ख़ुद ही ख़ुद से,
लगातार कर रहा हूं।
हमें उम्मीद है कि मेरे पापा,
मुझे मनमानी करने से रोकेंगे यहां।
नजदिकियां बढ़ाने में,
भरपूर मदद करने की,
लगातार मेहनत करते हुए रहेंगे यहां।
मां -बाप का उम्मीद हूं,
नज़रों से देखते हुए आगे बढ़ने में,
लगा हुआ हूं मैं।
इस सियासत पर,
अमल करने की कोशिश कर रहा हूं मैं।
दादा-दादी नाना-नानी के दिलों में,
एक अरमान जगी हुई है।
इसकी वजह से ही,
आशीर्वाद देने की बड़ी लकीर खिंचने की,
कोशिशें की जा रही है।
मेहनत जोश ही मुझे,
इस सियासत में ताकत दिलाएंगी यहां।
रिश्तेदारों, मोहल्ले वालों और दोस्तों से मिलने वाले ताने की ऊंची तकलीफें झेलने में,
मददगार साबित होने की,
मजबूत आवाज देंगी यहां।
इन्हीं उलझनों से रूबरू होना,
आज़ मेरी जिंदगी की आगाज़ है।
हमें आनन्द और प्रसन्नता मिले,
यही दे रही आवाज है।
— डॉ. अशोक, पटना