गांव की गलियां
यही हकीकत है,
भावनाएं पलती है,
थिरकतीं कूदतीं मचलते हुए,
नवीन चेतना को जागृत कर,
संभावनाएं जोड़कर हमेशा साथ-साथ चलने की कोशिश,
करते हुए आगे बढती है।
संभावनाएं और भावनाएं आहत हुई तो,
मन मन्दिर में जाकर,
काफी रोश पैदा करने की,
हिम्मत उठाती है।
शहरी अनजान लोगों को,
गांव की गलियां से रूबरू कराने में,
सबसे आगे रहते हुए,
अपनत्व और सुकून देने वाली ताकत बनकर,
सबकी खिदमत करने में,
आगे रहती है।
उम्र और सुकून देने वाली ताकत का,
गांव से गहरा नाता है।
शहरी अनजान लोगों का एक नया इतिहास रचने का,
उम्मीद है जहां अपना फर्ज निभाते हुए आगे बढ़ने वाली ताकत का नाम नहीं दिखता है।
बांसुरी की आवाज है तो,
यही गांव की तासीर ठंडी है या गर्म,
हमें बताता है।
नया इतिहास रचने में,
मददगार बनकर आगे बढ़ने में,
एक दोस्त की भूमिका निभाने का,
मजबूत किरदार बनकर,
अपना फर्ज निभाते हुए,
हमसफ़र बनकर आगे बढ़ते हुए,
इन्सानियत का बेहतरीन तरीका बताता है।
गुज़र तो जाता है हमेशा एक मजबूत पहल करते हुए,
इस सियासत वाले संसार में यहां
शहरी अनजान लोगों को,
गांव की गलियां से रूबरू कराने में वक्त लगता है,
इस इल्म को पहचानते हुए आगे बढ़ने में,
काफी वक्त लगता है वहां।
— डॉ. अशोक, पटना