सामाजिक

महानगर और घरेलू श्रमिक 

महानगर में अधिकतर कामकाजी लोगों के लिए घर के काम करने के लिए श्रमिक मिलना बहुत कठिन होता है। घर का काम हो,बच्चों की देखभाल के लिए, घर की सुरक्षा के लिए की आवश्यकता पड़ती है। दोनों पक्षो की शर्तो और नियमावली के आधार पर कामवालों के साथ एग्रीमेंट होता है। वेतन, सुविधाएं, छुट्टी को लेकर भी बात की जाती है। इतना होने पर भी दोनों पक्ष संतुष्ट  नहीं होते। कभी समय की समस्या, कभी वेतन बढ़ोतरी को लेकर, तो कभी अनावश्यक छुट्टी को लेकर विवाद बना रहता है। महिला कामवाली अवकाश को लेकर कई बहाने बनाती है। जबकि महीने के अवकाश उनके पहले से ही निर्धारित होते हैं। उसके बाद भी कई बार बहाना बनाकर छुट्टी ले ली जाती है। जिसका भुगतान उन कामकाजी लोगों को चुकाना पड़ता है, जहाँ पति -पत्नी दोनों की कामकाजी होते हैं। ये समझ पाना मुश्किल है कि गलती किसकी है? परन्तु विवाद अवश्य होता है छुट्टी को लेकर।

कई शहरों में पूरे दिन के लिए घर के काम को करने के लिए श्रमिक रखे जाते हैं, जिनका काम पूरा घर संभालना, और बच्चों की देखभाल भी उसमे शामिल होता है। सुरक्षा की दृष्टि से घरों में कैमरे भी लगाए जाते हैं। आधुनिक तकनीको का उपयोग होने पर भी सुरक्षा व्यवस्था में चूक हो जाती है। आये दिन कई घटनाएँ देखने -सुनने को मिलती है कि कामवालों द्वारा । खाने को दूषित करना, बच्चों का शोषण करना,चोरी आदि। हम कितने भी सचेत रहें परन्तु अपराध तो होते ही रहते हैं। हमारा कार्य इनके बिना चलता भी नहीं है।

इसका कारण एकल परिवार का होना भी है। मुझे ऐसा लगता है जब सयुंक्त परिवार थे तो सभी के आपसी सहयोग से घर के काम  से लेकर बच्चों का पालन -पोषण  सभी कुछ सहज ही हो जाता था और बच्चा घर में संस्कार भी सीखता था। वर्तमान में कुछ अपवाद को छोड़कर एकल परिवार में यह सब सम्भव नहीं है। माता -पिता को अपने बच्चों के लिए समय नहीं है। वे नौकरों पर अपना सारा काम छोड़कर अपने कार्यस्थल पर निकल जाते हैं, ऐसे में कामवाले लोग किस तरीके से आपके घर को संभालते हैं, वह भगवान ही जाने। ऐसा नहीं है कि सारे कामवाले ऐसे होते हैं परन्तु कुछ तो होते हैं। इसलिए जॉब के साथ पति -पत्नी को घर के काम में भी सहयोग करना चाहिए, कामवालों पर सारी जबावदारी नहीं छोड़नी चाहिए। और सबसे अहम बात अपने घर -परिवार, बच्चों को समय देना चाहिए क्योंकि आप अपने बच्चों के अभिभावक हैं, कामवाले नहीं। उन्हें आपसे प्रेम, देखभाल और समय की अपेक्षा है।

— सपना परिहार

सपना परिहार

श्रीमती सपना परिहार नागदा (उज्जैन ) मध्य प्रदेश विधा -छंद मुक्त शिक्षा --एम् ए (हिंदी ,समाज शात्र बी एड ) 20 वर्षो से लेखन गीत ,गजल, कविता ,लेख ,कहानियाँ । कई समाचार पत्रों में रचनाओ का प्रकाशन, आकाशवाणी इंदौर से कविताओ का प्रसारण ।

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