कविता

कुंभ

कुंभ का महत्व, ईश्वरीय आनन्द तुल्य है
नदियाँ बहती कलकल जहाँ,
गंगाजल में घुली है अमृत
ध्यानभाव की एकाग्रता,
तप की है यह सिद्ध धरा।

साधना में लीन, जगत से परे एक दिव्य ज्ञान,
युगों-युगों की साधना, अनंत श्रवणों का संचार।

कुंभ की लहरों में है समाहित
सत्य सनातन धर्म की भव्यता।

हवाओं में गूंजती है यहाँ कथाएँ अनंत,
मोक्ष-मुक्ति की कामना,
हर भक्त की छूती है आत्मा।

संगम घाट पर जीवन बनता
सुगम-सरल और आसान
नई राह पर चलने को,
ऊर्जा का मिलता दान।

करके स्नान पावन नदी में,
आत्मा होता तृप्त।
हृदय में प्रतिष्ठान शक्ति का,
इसका है प्रतीक।

कुंभ की आस्था, धरती, अंबर
पूरे जग में मान्य।
एक अद्वितीय अनुभूति का अहसास,
मानव जीवन को देता
पवित्रता का आभास।

यह केवल कुंभ नहीं, बल्कि ब्रह्मा का है आशीर्वाद
यहां हर कण में शिव महिमा का होता है गुणगान ।

— बबली सिन्हा ‘वान्या’

*बबली सिन्हा

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