राजनीति

गणतंत्र दिवस – कुर्बानियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

भारत और गणतंत्र दिवस का गहरा संबंध है। गणतंत्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो भारत के संविधान के लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। यह दिन 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान के लागू होने की याद में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर, भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली के कर्तव्य पथ (पूर्व में राजपथ के नाम से जाना जाता था) पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और सेना की सलामी लेते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित भी करते हैं, लेकिन यह संबोधन आमतौर पर राष्ट्रपति भवन से या कर्तव्य पथ से होता है।
गणतंत्र दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भारतीयों के स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ी हुई है। भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की थी, लेकिन उस समय तक भारत का अपना कोई संविधान नहीं था। 29 अगस्त 1947 को एक प्रारुप समिति का गठन किया गया था, जिसने 4 नवंबर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप संविधान सभा में प्रस्तुत किया था। गणतंत्र दिवस समारोह में कई कार्यक्रम शामिल होते हैं, जिनमें परेड, झांकियाँ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और राष्ट्रीय ध्वज फहराना शामिल है। यह दिन पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन मुख्य कार्यक्रम राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में होते हैं।
गणतंत्र दिवस का महत्व भारतीय लोकतंत्र और संविधान के प्रति सम्मान और समर्पण को दर्शाता है। यह दिन भारतीयों को अपने संविधान और लोकतंत्र के प्रति जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है। गणतंत्र दिवस पर देश में कई विशेष कार्यक्रम और आयोजन होते हैं, नई दिल्ली में राजपथ पर राष्ट्रीय परेड आयोजित की जाती है, जिसमें सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की टुकड़ियाँ भाग लेती हैं। राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं।
देश भर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और राष्ट्रगीत गाया जाता है। देश भर में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कार दिए जाते हैं, जिनमें परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र शामिल हैं। स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया जाता है और लोगों से एकता और सामाजिक समरसता के लिए काम करने का आह्वान किया जाता है।
गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सबसे पहले, प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं और शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। यह दिन के आधिकारिक स्मरणोत्सव के शुरुआत का प्रतीक है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के नाम संदेश भी देते हैं। वे देश की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य के लिए दृष्टिकोण को रेखांकित करते हैं। प्रधानमंत्री की भूमिका गणतंत्र दिवस के समारोह को और भी महत्वपूर्ण और गरिमामय बनाती है। वे देश के लिए अपने दृष्टिकोण और सपनों को साझा करते हैं और देश के नागरिकों को प्रेरित करते हैं। इन दोनों उच्च पदाधिकारियों की उपस्थिति और भूमिका गणतंत्र दिवस के उत्सव को और भी महत्वपूर्ण और गरिमामय बनाती है।
देश की आजादी का संघर्ष एक लंबा और कठिन सफर था। भारत लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम था, और उससे पहले सैकड़ों वर्षों तक मुगलों का शासन था। लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया और अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की कुर्बानीयां दी तब जाकर हमें आजादी मिल सकी। अंग्रेजों का अत्याचार बहुत ही क्रूर था। उन्होंने भारतीयों पर बहुत अत्याचार किए, जैसे कि काला पानी की सजा, फांसी की सजा, और अन्य कई तरह के अत्याचार। लेकिन भारतीयों ने हार नहीं मानी और उन्होंने आजादी की लड़ाई जारी रखी।
सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और कई अन्य बलिदानियों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी थी। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला लेने के लिए पुलिस अफसर सौंडर्स की हत्या की थी। इसके बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंका था, जिसका उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था, बल्कि अंग्रेज सरकार को जगाना था। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेज सरकार ने फांसी दे दी थी, जिससे पूरा देश स्तब्ध रह गया था। चंद्रशेखर आज़ाद ने भी अपनी जान की कुर्बानी दी थी, वे पुलिस के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे । सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया था और उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। इन सभी बलिदानियों की कुर्बानियां भारत की स्वतंत्रता के लिए महत्वपूर्ण थीं और उनकी याद आज भी हमें प्रेरित करती है।
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में कई मांओं, बहनों, पत्नियों और बेटियों ने अपने प्रियजनों को खोया था। उन्होंने अपने परिवार की खुशियों को त्यागकर देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी। उनकी कुर्बानियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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