उद्धारकर्ता आ रहे हैं
आ रहे हैं आ रहे हैं
उद्धारकर्ता आ रहे हैं,
जिसने देखा नहीं संघर्ष
उनके दिलों में छा रहे हैं,
भावनाएं अच्छी भड़काता है वो,
नवयुवा को भटकाता है वो,
कई प्रकरणों में फंसाता है वो,
खुद बचके निकल जाता है वो,
अचानक हुआ था अवतरण,
भौंकने वालों ने दिया शरण,
मूछों को ताव देता है,
दुश्मन को भाव देता है,
बना मान्यवर से भी बड़ा मान्यवर,
हवाई राहों से घूमता शहर शहर,
आलीशान कोठी बनाता है,
अपनों को ही गरियाता है,
गृहस्थ जीवन जीने वाला
कंवारा खुद को बताता है,
सपनों में बसके किसी के
आंसू बहुत दे जाता है,
पहुंच उनका काफी अंदर है,
गुरू पीर सामने बंदर है,
देते धमकियों पे धमकियां,
बनते अपने मुंह मिट्ठू मियां,
सगे भाई को गाली दे दे
कई नये भाई बना रहे हैं,
आ रहे हैं आ रहे हैं
उद्धारकर्ता आ रहे हैं,
वंचित नफरतियों के दिलोदिमाग में
बड़े शान से छा रहे हैं,
उद्धारकर्ता आ रहे हैं।
— राजेन्द्र लाहिरी