कविता

कल्पवास महिमा

कलपवास नर-नारी करिहैं।
भवसागर ते पार उतरिहैं।।
पौष पूर्णिमा शुभ दिन आई।
एक माह रुचि गंग नहाई।।
नियमित ध्यान दान तप धरमा।
चिंतन मनन जपन नित करमा।।
शुद्ध भाव शुचि मन महुं राखे।
संतन वचन सुधारस चाखे।।
साधु संत पद मन भर सेवा।
पाइ अशीष सजीवन मेवा।।
सुरसरि विमल धार उर गहहीं।
बिछा रेणुका भू पर रहहीं।।
गीता-कीर्तन भजन अभंगा।
मानस पाठ करहु नित संगा।।

— प्रमोद दीक्षित मलय

*प्रमोद दीक्षित 'मलय'

सम्प्रति:- ब्लाॅक संसाधन केन्द्र नरैनी, बांदा में सह-समन्वयक (हिन्दी) पद पर कार्यरत। प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक बदलावों, आनन्ददायी शिक्षण एवं नवाचारी मुद्दों पर सतत् लेखन एवं प्रयोग । संस्थापक - ‘शैक्षिक संवाद मंच’ (शिक्षकों का राज्य स्तरीय रचनात्मक स्वैच्छिक मैत्री समूह)। सम्पर्क:- 79/18, शास्त्री नगर, अतर्रा - 210201, जिला - बांदा, उ. प्र.। मोबा. - 9452085234 ईमेल - [email protected]

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