प्रेम का प्रेमिल-पयाम
पतंगकी उड़ान देख,
पतंग-सी उड़ने की चाह,
कैसे उड़ सके मगर वह,
मिल न सके कोई राह!
बेटा होती तो कोई बाधा नहीं,
उसकी तो कोई गाथा नहीं!
उसे तो कटना-लुटना ही है,
उसके गीत कोई गाता नहीं!
वह अपनी बाधा खुद दूर करेगी,
जब चाहे पतंग-सी उड़ेगी,
गाएगी दुनिया उसके गीत,
अपनी राह बना इच्छा से मुड़ेगी।
पतंग-सी उड़ान होगी,
नहीं कोई थकान होगी,
जुड़ी रहेगी अपनी जड़ों से,
प्रेम का प्रेमिल-पयाम होगी।
बन गई चाह ही खुद राह,
अब न होगी कोई आह!
उसका भी अपना अस्तित्व है,
दुनिया कहने लगी वाह-वाह!
— लीला तिवानी