लघुकथा

हिम्मत!

डॉक्टर साहब मीरा जी के तेरह सीढ़ियों से लुढ़ककर गिरने की खबर पाकर उनका चेक अप करने आए थे और मीरा जी सैर पर गई हुई थीं.
“हद कर दी आपने…..मैं तो आपका चेक अप करने आया था और कंकरीट की खुरदरी तेरह सीढ़ियों से लुढ़ककर गिरने के बावजूद आप सैर पर चली गईं?” डॉक्टर साहब ने मीरा जी के आने के बाद पूछा.
“डॉक्टर साहब गिरना-पड़ना तो चलता ही रहता है! शुक्र है मेरी कोई हड्डी- पसली नहीं टूटी थी. मैं चल पा रही थी, इसलिए सैर पर चली गई.”
“कमाल की हिम्मत है आप में, पर आपको ऐसा नहीं करना चाहिए था!” डॉक्टर साहब ने कहा.
“मैं अगर आज सैर पर नहीं जाती, तो शायद कभी नहीं जा पाती! हिम्मत तो जुटानी पड़ती है!” डॉक्टर साहब मीरा जी की हिम्मत को देखते ही रह गए!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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