डिफॉल्ट

दोहे

गणतंत्र


संविधान लागू हुआ, कहता है गणतंत्र।
लोकतंत्र के मूल में, सबसे उत्तम मंत्र।।

संविधान की आड़ में, गणतंत्री उपहास।
शपथ लिए कुछ लोग ही, बने सूत्र हैं खास।।

संविधान को हाथ ले, घूम रहे कुछ लोग।
कुंठित हैं वे लोग या, महज एक संयोग।।

भारत का गौरव बना, दिवस आज है खास।
जनता रखती है सदा, संविधान से आस।।

देश मनाता आज है, खास दिवस का पर्व।
ऊँच- नीच, छोटा- बड़ा, करता इस पर गर्व।।

आजादी जब आ गई, तब गण का भी मान।

संविधान ने भी किया, जन मन का तब गान।।

माँ शारदे


मातु शारदे भक्त पर, करुणा दो बरसाय।
शीष झुकाता चरण में, हर पल ही मुस्काय।

मातु शारदे भक्त पर, कृपा करो मां आप।
शीष झुकाऊं चरण में, हर लो सब संताप।।

मातु शारदे की कृपा, होती जिसके शीश।
वही लिखे साहित्य को, बन जाता वागीश।।

मैया मेरी शारदे, दो मुझको वरदान।
मुझको भी होता रहे, शब्द-सृजन का ज्ञान।।

करें दया मुझ भक्त पर, मात! शारदे आप।
शीष झुकाऊँ चरण में, बन सुधीर निष्पाप।।

मातु शारदे तू सदा, रखिए सिर पर  हाथ,
पावन चले मम लेखनी, रहिए सदा ही साथ।

मातु शारदा तू सदा, रखिए सिर पर  हाथ।
जब पकडू़ मैं लेखनी, रहो सदा ही साथ।।

मातु शारदे भक्त पर, करुणा दो बरसाय।
शीष झुकाते चरण में, हर पल ही मुस्काय।।

मातु शारदे भक्त पर, कृपा कीजिए आप।
शीष झुकाऊं चरण पर, हर लो सब संताप।।

दे दो माता शारदे,  मुझको ये आशीष।
रहे बनी छाया सदा, रहूँ झुकाए शीश।।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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