दोहा मुक्तक
तिरंगा
जग में हमको दे रहा, भारत की पहचान।
बसा तिरंगा प्राण में, यही देश की जान।
इसको हम कर नमन , रखते दिल के पास।
निज जीवन से उच्च ये, सभी रहें हैं मान।।
हमें तिरंगा दे रहा, गर्व भाव संदेश।
मान रहे हम लोग भी, सबके लिए अशेष।
राष्ट्र गान करते सदा, मन रख भाव पवित्र।
और नहीं कुछ इस धरा, लगता हमें विशेष।।
शनिदेव
सुबह-सुबह यमराज जी, पहुँचे शनि के द्वार।
हाथ जोड़ कहने लगे, सुनिए प्रभु पुकार।
विकट समस्या आ खड़ी, मम का क्या अपराध।
मुझे नहीं कुछ है पता, करिए बेड़ा पार।।
न्याय करें शनिदेव जी, कहाँ भटकते आप।
दुख ही देते हैं नहीं, और न हरदम शाप।
समय चाल अपनी चलें, शनी देव भगवान।
आप शरण जा कीजिए, सूर्य पुत्र का जाप।।
शनीदेव को कीजिए, अर्पित तिल अरु तेल।
जीवन से मिट जाएगा, बाधाओं का खेल।।
हनुमत कृपा भी पाइए, बस इतनी सी बात।
आ जाएगी आपके, जीवन खुशियाँ रेल।।