वसंत ऋतु का आगमन वास्तव में खुशियों का समय है
हमारी संस्कृति और परंपरा वास्तव में बहुत समृद्ध और विविध है, इन्हें समझना और संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।भारतीय संस्कृति में वसंत पंचमी का बहुत महत्व है। यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में बहुत उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। वसंत पंचमी का त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन सरस्वती देवी की पूजा की जाती है। सरस्वती देवी ज्ञान, संगीत, और कला की देवी मानी जाती हैं। वसंत पंचमी के दिन, लोग सरस्वती देवी की पूजा करते हैं और उनसे ज्ञान, बुद्धि, और कलात्मक क्षमता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
वसंत पंचमी के दिन, लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं और उन्हें फूलों और रंगोली से सजाते हैं। और उन्हें फूल, फल, और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं। वसंत पंचमी के दिन, लोग अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह त्योहार बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें ज्ञान और शिक्षा के महत्व के बारे में सिखाता है। वसंत पंचमी के दिन, लोग अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं। वे एक दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और वसंत पंचमी के त्योहार को बहुत उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं
वसंत ऋतु का आगमन वास्तव में खुशियों का समय है। यह ऋतु नई उमंग, नई ऊर्जा और नई संभावनाओं का प्रतीक है। मां सरस्वती की पूजा वसंत ऋतु में विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि वह ज्ञान, कला और संस्कृति की देवी हैं। उनकी पूजा से हमें ज्ञान, बुद्धि और रचनात्मकता की प्रेरणा मिलती है। पीले रंग का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। पीला रंग सूरज की किरणों का प्रतीक है, जो हमें ऊर्जा और जीवन देती हैं। पीले रंग के फूल, जैसे कि सरसों, वसंत ऋतु में खिलते हैं और हमें नई उमंग और नई संभावनाओं की ओर आकर्षित करते हैं। वसंत ऋतु का आगमन हमें नई शुरुआत करने, नई उमंग और नई ऊर्जा के साथ जीवन को आगे बढ़ाने का अवसर देता है।
— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह